गुरुवार, 31 मई 2012

कविता की क्यारी....


आओ मैं आपको अपनी कविता की क्यारी में ले चलू,
जहा मैंने चंद छोटे छोटे शेर बोये है,
जिन्हें मैं अपनी भावनाओं के जल से सीचूंगा
और कुछ दिनों में ये ग़ज़ल का रूप ले लेंगे

वहा दूर प्रतिभा की मिटटी में- मैंने कविता बोईं थी

जिन पर मंच माफियाओं की ऊँची अट्टालिकाओ ने
प्रसिद्धि का सूरज ना पड़ने दिया
और
अंतत: वे मुरझा गयी ..

पर मुझे अटल विश्वास है

उनके अहम् की आंधी उनकी ऊँची अट्टालिकाओ को जल्द ही जर्जर कर देगी
और मेरे गीत ग़ज़ल नगमो पर भी
किसी पारखी की नज़र पड़ेगी,
और मैं उन तमाम उपलभ्धियो को पा सकूँगा जिनका मैं अधिकार रखता हूँ .......


---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/


रविवार, 27 मई 2012

बेटा नहीं सपोला पाला था..


बेटा नहीं सपोला पाला था मैंने-( एक वृद्ध आश्रम में अपने अंतिम दिन गुजार रहे वृद्ध का कथन )
ये शब्द सुनकर मेरी आत्मा सिहर उठी,

आज वृद्ध आश्रम में एक छोटा सा प्रोग्राम किया, वहा हमने बुजुर्गो के स्वास्थ के लिए कुछ खाद्य सामग्री के साथ साथ जूस आदि की व्यवस्था की थी , उनके मनोरंजन के लिए एक मैजिक शो के साथ साथ मेरी कविताओं का आयोजन था विडियो देखने के लिए क्लिक करे :-
http://www.youtube.com/watch?v=ZpHL2Gm4IlQ&feature=youtu.be

हमने उनका दर्द जरुरत महसूस किया, वाकई अगर आप लोग वहा होते तो आत्मा हिल जाती,,

उनके कहे एक एक शब्द दिल में चुभ रहे थे

एक बुजुर्ग ने बताया ऊनके बेटे और बेटी नहीं है उनकी शादी होते ही उनके पति ने उनको धोखा दे दिया

फिर उन्होंने बिना किसी कानूनी तलाक के उनसे किनारा कर लिया,

अब उन्होंने एक बेटी अडोप्त की जो अमेरिका में है(5-6 महीने में उन्हें 10,000 रूपये भेज देती है) , उन माता जी की खुद की अच्छी खासी सरकारी पेंशन आती है

किसी चीज की कोई कमी नहीं बस अपनेपन की कमी थी जिसे मैंने अपनी कविताओं से दूर करने की कोशिश की

एक बुजुर्ग महिला ने बताया की कैसे उनके परिवार वालो ने उन्हें धोखे से वृद्ध आश्रम छोड़ दिया


इस छोटी सी पहल से दिल का बोझ हल्का हो गया की आज हमने किसी की मदद की, भगवान् हमें इसी काबिल बनाये रखे , अगर आप हमसे जुड़ना चाहते है तो कोई शुल्क नहीं है, आप हमसे 9212233555 पर संपर्क कर सकते है


विडियो का लिंक :-
http://www.youtube.com/watch?v=ZpHL2Gm4IlQ&feature=youtu.be

इसे इतना शेयर करे की कोई बेटा अपने माँ बाप को कभी वृद्ध आश्रम ना छोड़े

---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/

मंगलवार, 22 मई 2012

अंधे संभलकर चलने लगे है ........


अंधे संभलकर जो चलने लगे है 
दीद वाले नैनो को मलने लगे है 
कुछ इस तरह  बदली ज़माने ने करवट 
अपने ही अपनों को छलने लगे है  ......

यकीनन ज़माना खराब आ गया 
जुगनुओ को डराने आफताब आ गया
पिघलते मोम से पूछा :-हाल ए जिंदगी मैंने 
गिर कर हाथ पर बोला:-जवाब आ गया???

जीने कि जद्दोजहद में इतना उलझ गया हूँ मैं 
कि खुद को ही कही  रखकर भटक गया हूँ मैं
बरसो बाद आइना देख कर पता चला
जर्जर हूँ , बिखरा हूँ , टूटा हूँ, और चटक गया हूँ मैं


---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"

रविवार, 20 मई 2012

एक अनाथालय में ....

बचपन में एक गाना सुना था, अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ऐ दिल ज़माने के लिए ......
पिछले कुछ दिनों से मैं लगातार इस कार्यक्रम में फेसबुक के मित्रो से शामिल होने की अपील के साथ कर रहा था, मैंने कहा था, मुझे पैसा, या कोई भी साधन नहीं चाहिए.चाहिए
बस आप की उपस्तिथि चाहिए,
कुछ मित्रो के फ़ोन भी आये कुछ दूर होने की वजह से नहीं आ पाए,
लेकिन मैंने कहा था ना प्रोग्राम तो करना ही था ,
19-5-12 को दिल्ली के आश्रम के पास एक अनाथालय में गया,
मेरे साथ ज्योति जागरूक के अध्यक्ष अरुण जी भी थे, हमने वहा बच्चो को खाना खिलाया
और सिर्फ खिलाया ही नहीं, अपने हाथो से खिलाया,
उनके साथ कुछ पल बिठाये, उनका सुख दुःख बांटने की कोशिश की, वाकई दिन सुखद रहा ,,

एक गाना याद आ गया, किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार.........
आशा है आपको इन छाया चित्रों के माध्यम से कुछ मानसिक शान्ति मिली होगी,
और आगे आप  हमसे जुड़ेंगे भी।


वहा  की मार्मिक अनुभूति के लिए विडियो अवश्य देखे ...

प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना "
(समाज सेवक)
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/

बुधवार, 16 मई 2012

महफ़िल वाले क्या जाने ...........


मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
हँसती  आँखों में शबनम है, महफ़िल वाले क्या जाने .........

ना दौलत है,  ना शौहरत , फिर क्यों वो मुझको अपनाए 
उस शम्मा के लाखो हमदम है, महफ़िल वाले क्या जाने 

 मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........

रोज जुदाई, रोज मिलन ,  फिर रोज नयी तकरारे है,
ये गालो पे किसका चुम्बन है, महफ़िल वाले क्या जाने.........

मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........

इश्क, मोहब्बत, प्यार, वफ़ा  की बाते साकी ना करिओ 
ये सांपों  का चन्दन-वन है, महफ़िल वाले क्या जाने ..............

मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
हँसती  आँखों में शबनम है, महफ़िल वाले क्या जाने .........

---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"




शनिवार, 12 मई 2012

दो दो कौड़ी के गुंडे है....


भारत की मिट्टी  कहती है, रो रो कर गाथाये जी,
सत्य अहिंसा के रस्ते को, हम तक अपनाए जी,

अब सच्चाई वाले दर्पण, हारे हारे लगते है,
घोर अहिंसा और पापो के, अब जयकारे लगते है,

कोई मर्यादा को भूले, संसद की दीवारों में ,
और लाठिया भांजी जाए , सत्य अहिंसा नारों पे


कुछ सत्ता में बहरे लगते, कुछ सत्ता में अंधे है,

गुप्त सूचना देने वाले, वर्ल्ड बैंक के बन्दे है,

न्यायपालिका कही बिकी है,नोटों की हरयाली पर
पूरा संसद मौन पड़ा है " डायन" वाली गाली पर

कुछ "दीदी" के भैया  है, कुछ "मम्मी जी" के प्यारे है,
दो दो कौड़ी के गुंडे है, जाहिल है, हत्यारे है ...............


------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/