रविवार, 2 दिसंबर 2012

अच्छा नहीं होता .......



ये शीशे के दिल है नज़ाकत से रखिये ,
कांच दरक जाए तो अच्छा नहीं होता .............

मंजिल पानी है बेशक मगर हद्दो में रहकर
जूनून हद्द से बढ़ जाए तो अच्छा नहीं होता .........


कहानी किस्से किताबो से हटकर सोचिये
चाँद ज़मीं पर उतर आये तो अच्छा नहीं होता .......

शौक से पीजिये मगर ख्याल रखिये
कदम लडखडाये तो अच्छा नहीं होता ................


        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com

 

शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

मौत से लड़ती रही.......


मौत से लड़ती रही,
जूझती रही,
बिखरती रही,.

और इस तरह .
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जिंदगी निखरती रही।

        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com

वो आसमान में सफ़र करने लगा है....



          वो आसमान में सफ़र करने  लगा है
 ज़रा पर क्या निकले, ज़मीं से नफरत करने लगा है,

खुद की तबाही का कितना शौक है उसे,
दिल-लगी छोड़ के मोहब्बत करने लगा है।


        कवि प्रभात "परवाना"
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