सोमवार, 31 मार्च 2014

हंगामा खड़ा कर दिया मैंने.....



हाय! नादानी में ,क्या कर लिया मैंने
दोस्तो से कुछ, मश्वरा कर लिया मैंने
उसकी अमानत कहीं, गुम ना हो जाए
जख्म-ए-दिल को, हरा कर लिया मैंने .....

बेखुदी में अपने खुदा का, दर छोड़ कर
काफिर के दर पे, सजदा कर लिया मैंने.....

सच की खातिर सूली, चढ़ गया लेकिन
इस शहर में हंगामा, खड़ा कर दिया मैंने.....

दुनिया के मुताबिक मैं, बदल ना सका
दुनिया बदलने का फैसला, कर लिया मैंने.....




        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:-  www.prabhatparwana.com

मंगलवार, 18 मार्च 2014

आखिर चाहता क्या है?


यूँ ज़रा ज़रा करके, सताता क्या है?
ऐ खुदा तू आखिर, चाहता क्या है?

तू खुदा मै नाखुदा, मान तो लिया मैंने
बाराह रुक रुक कर, जताता क्या है ?
ऐ खुदा तू आखिर, चाहता क्या है?

ग़मो की आंच पर, सुलगती है खुशियाँ
दुनिया की हांडी में, पकाता क्या है?
ऐ खुदा तू आखिर, चाहता क्या है?

ज़िंदगी का बोझ अब, ढोया नहीं जाता
मेरी रोक दे साँसे, तेरा जाता क्या है?
ऐ खुदा तू आखिर, चाहता क्या है?


        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com