रविवार, 17 जून 2012

एक जिस्म पर कई किरदार देखिये .....



एक नहीं हुज़ूर, सौ बार देखिये'
एक जिस्म पर कई, किरदार देखिये
मुनाफा खूब हो भी, तो क्यों ना हो 
गर्म है नकाब का, बाज़ार देखिये ......

सियासत, आप खुद ही जान लोगे
चोर को बना के पहरेदार देखिये.....

वफ़ा, प्यार, दोस्ती, मैं सब निभाता रहा 
और मैं ही बन गया हूँ गुनेहगार देखिये........

बुजुर्गो की निशानी नीलाम हो रही है,
मुझ पर यकीं नहीं,  इश्तेहार देखिये........

बेटी बेच आया बाप, दो रोटी के वास्ते 
खबर पक्की है साहब, अखबार देखिये.........

---------------------------------कवि  प्रभात "परवाना"

मंगलवार, 12 जून 2012

नशा मुक्ति केंद्र- हिला देने वाला अनुभव



दोस्तों आज आपसे एक बेहद ही खास अनुभव शेयर करता हूँ, 
जैसा कि आपको पता है हमारी संस्था ज्योति जागरूक समय समय पर कुछ ना कुछ सामाजिक काम जैसे अनाथ बच्चो कि मदद , वृद्ध आश्रम में आयोजन नशा मुक्ति केंद्र में काउंसलिंग आदि आदि करती रहती है ..

हाँ तो इस बार हमारी संस्था ने दिल्ली के द्वारका में स्थित नशा मुक्ति केंद्र में प्रोग्राम किया..
आप हैरान रह जाएंगे ये सोच कर कि वह क्या हुआ,.
मेरे शरीर का एक एक रोंगटा खड़ा हो गया वहा  आये हुए रोगियो को  देखकर..
अरे छोटे छोटे बच्चे 9 - 10 साल के बच्चे नशा मुक्ति केंद्र में जिन्हें अपना नाम लेना नहीं आता था वो नशा मुक्ति केंद्र में..
कोई माँ का पर्स चुरा कर नशा करता था, कोई भाई का मोबाइल बेचकर..
एक से एक सरकारी नौकरी में रह चुके एयर फ़ोर्स के व्यक्ति वह मौजूद थे जो नशा छुड़ाना चाहते थे..
पर सबसे बड़ा आश्चर्य मुझे उन छोटे छोटे बच्चो का हुआ ...

एक और हिला देने वाला अनुभव:--
एक बच्चे को ऐसा  नशा था की वो अपने आप को ब्लेड से काटता था..
समझे नहीं ??????

 मैं भी नहीं समझा था..
खुद को जख्मी करने का नशा..'
पूरा सर अपना ही अपने ही हाथो ब्लेड से काट रखा था. हालत ये थी की आप जख्म देख भी नहीं सकते ..और ना मैं आपको दिखा  सकता ..
मैंने वहा  उनकी काउंसिलिंग की..उन्हें नशा से होने वाली हानिया और नशा मुक्ति के उपाय भी बताये
ये भी बताया की नशे की हुड़क लगे तो क्या करना है .
पूरी विडिओ १८ मिनट की है.. 


शायद विडिओ की आवाज समझने में थोड़ी परेशानी हो..
लेकिन ये समझना उतना भी मुश्किल नहीं जितना नशे के साथ जीवन यापन करना.
मित्रो शुभ काम में देश भर से लोग हमारे साथ जुड़ रहे है. अगर आप भी हमसे जुड़ना चाहते है तो हमारी संस्था के नंबर 9212233555 पर संपर्क करे..

इस विडिओ को ज्यादा से ज्यादा फैलाए ताकि शायद किसी ऐसे व्यक्ति के पास पहुचे जो नशा छोड़ना चाहता हो..

---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"


शुक्रवार, 8 जून 2012

पढ़ा लिखा युवा क्यू भटक रहा है ???


मित्रो बात ३ जून की है,, बाबा रामदेव जी के धरने वाले दिन की,
जंतर मंतर पर मेरे दूर -दराज से मित्र और कई प्रशन्शक मिलने आए थे..
अब कोई इतना दूर से आए और मैं ना जाउ. एसा नही हो सकता..
गुजरात से स्वामी जी, जे. पी. जी, बृजेश भाई , जनार्दन भाई और भी करीब ३०-४० राष्ट्रवादी भाई जमा हुए थे,
और आग्रह हो गया एक कविता का.
कविता का अचानक से आग्रह होने पर कुछ पंक्तिया सुनाई जिन्हने बृजेश भाई ने कैमरे मे क़ैद कर लिया.. http://youtu.be/VJfBmK9pGIM
इन पंक्तियो मे कुछ एसि पंक्तिया है जिन मे बताया गया है आज का पढ़ा लिखा युवा क्यू भटक रहा है

-- >युवा पढाई कि बजाय आसान रास्ते से पैसा कमाने कि क्यों सोच रहा है,
-->युवा चोरी डकैती और लूटपाट कि तरफ क्यों भाग रहा है,
-->हैकिंग में युवाओं का रुझान क्यों बढ गया है,
-->ए टी एम् तोडना , नशीले पदार्थो कि बिक्री, काले धंधे पढ़ा लिखा युवा क्यों अपना रहा है,,
आपके सामने एक विडिओ रखता है, देखिये और अगर आपको मेरा नजरिया पसंद आये तो शेयर भी करे
http://youtu.be/VJfBmK9pGIM


---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/

गुरुवार, 7 जून 2012

मुँह पे ताले पड़ते देखे है.....


मेहनतकश को दो रोटी के लाले पड़ते देखे है
बलिदानों के शिलालेख पर जाले पड़ते देखे है,
जब जब हमने खंगाले, कच्चे चिट्ठे सरकारों के,
सी एम् से पी एम् तक 
मुँह
पे ताले पड़ते देखे है...

कविता को  हथियार बना कर, गाना मैंने सीखा है,

नोक कलम की होती है,पर भाले पड़ते देखे है 

---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/

                      

शनिवार, 2 जून 2012

एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया........


अभी हाल ही में मथुरा में हुए हिन्दू मुस्लिम दंगो पर लिखी कविता
इसे हिन्दू या मुस्लिम मान कर नहीं, इंसान मान कर पढ़े....

 
काम करू सच्चा तो मतलब पूछ लेते है लोग
और बात कहू कडवी तो मजहब पूछ लेते है लोग

मुझे मेरी औकात बताने आ गया,
एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया
कि कच्ची नींद में होगी, मुन्नी मगर देखो,
रास ना था चैन, उसको जगाने आ गया

क्या खूब कारीगर है खंजर और तमंचो का

मेरी गालिओ को खूं से सजाने आ गया

एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया.....


इधर मरहम बिना था जख्म, देखो मुफलिसी मेरी,

उधर वो शूल का अस्तर लगाने आ गया

एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया........


-----------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/