रविवार, 16 अक्टूबर 2011

वो दिल में रह कर दोस्ती की बात करती रही.

बस एक यही अदा उसकी मुझे बर्बाद करती रही,
वो दिल में रह कर दोस्ती की बात करती रही.
लबो को समझाया तो नजरो ने कह दिया,
चुप रहने की वो कोशिश नापाक करती रही,
उलझन उसके चेहरे की ब्याँ क्या करू?
कुछ पंखडी गुलाब से आजाद करती रही
इधर शर्म से कुछ गढ़ा सा मै रहा
उधर वो जमाने का लिहाज करती रही
पर ठगा सा रह गया मै उसके प्यार में
वो जाने किस गैर का हिसाब करती रही.
पहले जख्म नजरो से, दिल पे दे दिए.
फिर नमक लगा उन्हें, हलाल करती रही,
हाल-ए-जिंदगी है अब उसकी तरह
मेरी कब्र पर आकर मेरा इन्तजार करती रही .
मेरी कब्र पर आकर मेरा इन्तजार करती रही .
बस एक यही अदा उसकी मुझे बर्बाद करती रही,
वो दिल में रह कर दोस्ती की बात करती रही.


प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"



15 टिप्‍पणियां:

नीरज द्विवेदी ने कहा…

उनकी इसी आदत का खामियाजा हमे आज तक भुगतना पड़ रहा है,
वो दूर किसी के संग हँसती हैं और हमे उन्हे याद कर रोना पड़ रहा है।
बहुत सुंदर लिखा है आपने.
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ASHOK BIRLA ने कहा…

sundar aati sundar ......har pangti dard baya karti hai prabhat ji....sabdash satya

akash ने कहा…

sir bahut hi sundar likha hai aapne ..........
aapki ye line pad kar dil rone ko kar raha hai

sanjay ने कहा…

parvana ji nazm to khub hea hi photo bhi gazab hea

ranesh_neophyte ने कहा…

gazab....wahh.....dard ko kua panktibaddh kia hai aapne

ranesh_neophyte ने कहा…

gazab , waaah ......dard ko kya panktibaddh kia hai aapne

Rahul Yadav ने कहा…

Haqiqat Bata Di aaj Ki... kuch lines me aapne

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

bahut hi kamal ki rachana hai
sundar prastuti,,

virender sangwan ने कहा…

kisne kaha k mene bhula di hai shayri,ha ye jarur hai k ab jajbaat utne durust nahi................ vo ab bhi vese hi mujhko tadpaya karti ha,kabhi mujhko waqt nahi kabhi usko waqt nahi.......................khubsoorat likha hai aapne prabhat ji

virender sangwan ने कहा…

kisne kaha k mene bhula di hai shayri,ha ye jarur hai k ab jajbaat utne durust nahi................ vo ab bhi vese hi mujhko tadpaya karti ha,kabhi mujhko waqt nahi kabhi usko waqt nahi.......................

virender sangwan ने कहा…

kisne kaha k mene bhula di hai shayri,ha ye jarur hai k ab jajbaat utne durust nahi................ vo ab bhi vese hi mujhko tadpaya karti ha,kabhi mujhko waqt nahi kabhi usko waqt nahi.......................

Naveen Rathor ने कहा…

प्रिय प्रभात जी काफी खुबसूरत भावनाओ का परिचय दिया है ,मगर शब्द का चयन कुछ हल्का जान पड़ता है ... ..

Naveen Rathor ने कहा…

प्रिय प्रभात जी काफी खुबसूरत भावनाओ का परिचय दिया है ,मगर शब्द का चयन कुछ हल्का जान पड़ता है ... ..

बेनामी ने कहा…

प्रिय प्रभात जी काफी खुबसूरत भावनाओ का परिचय दिया है ,मगर शब्द का चयन कुछ हल्का जान पड़ता है ... ..

ASHISH SHUKLA ने कहा…

bahut khubsurat sir.kya baat likha aapne.