बस एक यही अदा उसकी मुझे बर्बाद करती रही,
वो दिल में रह कर दोस्ती की बात करती रही.
लबो को समझाया तो नजरो ने कह दिया,
चुप रहने की वो कोशिश नापाक करती रही,
उलझन उसके चेहरे की ब्याँ क्या करू?
कुछ पंखडी गुलाब से आजाद करती रही
इधर शर्म से कुछ गढ़ा सा मै रहा
उधर वो जमाने का लिहाज करती रही
पर ठगा सा रह गया मै उसके प्यार में
वो जाने किस गैर का हिसाब करती रही.
पहले जख्म नजरो से, दिल पे दे दिए.
फिर नमक लगा उन्हें, हलाल करती रही,
हाल-ए-जिंदगी है अब उसकी तरह
मेरी कब्र पर आकर मेरा इन्तजार करती रही .
मेरी कब्र पर आकर मेरा इन्तजार करती रही .
बस एक यही अदा उसकी मुझे बर्बाद करती रही,
वो दिल में रह कर दोस्ती की बात करती रही.
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
वो दिल में रह कर दोस्ती की बात करती रही.
लबो को समझाया तो नजरो ने कह दिया,
चुप रहने की वो कोशिश नापाक करती रही,
उलझन उसके चेहरे की ब्याँ क्या करू?
कुछ पंखडी गुलाब से आजाद करती रही
इधर शर्म से कुछ गढ़ा सा मै रहा
उधर वो जमाने का लिहाज करती रही
पर ठगा सा रह गया मै उसके प्यार में
वो जाने किस गैर का हिसाब करती रही.
पहले जख्म नजरो से, दिल पे दे दिए.
फिर नमक लगा उन्हें, हलाल करती रही,
हाल-ए-जिंदगी है अब उसकी तरह
मेरी कब्र पर आकर मेरा इन्तजार करती रही .
मेरी कब्र पर आकर मेरा इन्तजार करती रही .
बस एक यही अदा उसकी मुझे बर्बाद करती रही,
वो दिल में रह कर दोस्ती की बात करती रही.
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
15 टिप्पणियां:
उनकी इसी आदत का खामियाजा हमे आज तक भुगतना पड़ रहा है,
वो दूर किसी के संग हँसती हैं और हमे उन्हे याद कर रोना पड़ रहा है।
बहुत सुंदर लिखा है आपने.
My Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
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sundar aati sundar ......har pangti dard baya karti hai prabhat ji....sabdash satya
sir bahut hi sundar likha hai aapne ..........
aapki ye line pad kar dil rone ko kar raha hai
parvana ji nazm to khub hea hi photo bhi gazab hea
gazab....wahh.....dard ko kua panktibaddh kia hai aapne
gazab , waaah ......dard ko kya panktibaddh kia hai aapne
Haqiqat Bata Di aaj Ki... kuch lines me aapne
bahut hi kamal ki rachana hai
sundar prastuti,,
kisne kaha k mene bhula di hai shayri,ha ye jarur hai k ab jajbaat utne durust nahi................ vo ab bhi vese hi mujhko tadpaya karti ha,kabhi mujhko waqt nahi kabhi usko waqt nahi.......................khubsoorat likha hai aapne prabhat ji
kisne kaha k mene bhula di hai shayri,ha ye jarur hai k ab jajbaat utne durust nahi................ vo ab bhi vese hi mujhko tadpaya karti ha,kabhi mujhko waqt nahi kabhi usko waqt nahi.......................
kisne kaha k mene bhula di hai shayri,ha ye jarur hai k ab jajbaat utne durust nahi................ vo ab bhi vese hi mujhko tadpaya karti ha,kabhi mujhko waqt nahi kabhi usko waqt nahi.......................
प्रिय प्रभात जी काफी खुबसूरत भावनाओ का परिचय दिया है ,मगर शब्द का चयन कुछ हल्का जान पड़ता है ... ..
प्रिय प्रभात जी काफी खुबसूरत भावनाओ का परिचय दिया है ,मगर शब्द का चयन कुछ हल्का जान पड़ता है ... ..
प्रिय प्रभात जी काफी खुबसूरत भावनाओ का परिचय दिया है ,मगर शब्द का चयन कुछ हल्का जान पड़ता है ... ..
bahut khubsurat sir.kya baat likha aapne.
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