एक छोटी सी बात पर परिवार बदलते देखे है,
जरुरत पड़ी तो सब रिश्तेदार बदलते देखे है,
अब यकीन सा उठ चला, हर शख्स से "प्रभात"
मैंने अक्सर अपनों के किरदार बदलते देखे है..............
तीर कुछ इस कदर छोड़े उस बेवफा ने इश्क में
कि अब इजहार-ए-इश्क मैंने जख्मो से कर दिया.........
ज़माना कहता है की तुम्हारा लगाया इत्र लाजवाब है,
कौन समझाए दुनिया को हम उनसे मिलकर आते हैं...........
मेरा जीवन सच्ची गाथा, तेरा जीवन एक कहानी,
मेरा जीवन पानी जैसा, तेरा जीवन काला पानी
----कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
4 टिप्पणियां:
Sahi baat kahi aapne bhai...
ye zindgi ki sachachai hai
lajwab
bemisal rachana..
Aapka...blog...achha...lga.....nice....thoughts
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