रविवार, 2 अक्टूबर 2011

कभी फुर्सत में बैठोगे तो बताऊंगा........

कभी फुर्सत में बैठोगे  तो बताऊंगा........
तुम्हारे ख्वाब की लड़ियो में कैसे रात कटती है.....
कभी जो फेर ली आँखे तो मर जाऊँगा
तुम्हारे ख्वाब की लड़ियो में कैसे आँख बहतीं  हैं .........

मै जो हूँ अब तलक जिन्दा मेहरबानी  है
दिलो को काटने वाली, वो बाते रात कहती है
कभी फुर्सत में बैठोगे  तो बताऊंगा........
तुम्हारे ख्वाब की लड़ियो में कैसे रात कटती है.....

मेरे सीने में भी दिल है कसम खाने को
कोई हो ना हो यारो, जुदाई साथ रहती है 
कभी फुर्सत में बैठोगे  तो बताऊंगा........
तुम्हारे ख्वाब की लड़ियो में कैसे रात कटती है.....

प्रभात कुमार भारद्वाज "परवाना"