हाय! नादानी में ,क्या कर लिया मैंने
दोस्तो से कुछ, मश्वरा कर लिया मैंने
उसकी अमानत कहीं, गुम ना हो जाए
जख्म-ए-दिल को, हरा कर लिया मैंने .....
बेखुदी में अपने खुदा का, दर छोड़ कर
काफिर के दर पे, सजदा कर लिया मैंने.....
सच की खातिर सूली, चढ़ गया लेकिन
इस शहर में हंगामा, खड़ा कर दिया मैंने.....
दुनिया के मुताबिक मैं, बदल ना सका
दुनिया बदलने का फैसला, कर लिया मैंने.....
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