शुक्रवार, 2 नवंबर 2012
मौत से लड़ती रही.......
मौत से लड़ती रही,
जूझती रही,
बिखरती रही,.
और इस तरह .
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जिंदगी निखरती रही।
कवि प्रभात "परवाना"
वेबसाईट का पता:-
www.prabhatparwana.com
वो आसमान में सफ़र करने लगा है....
वो आसमान में सफ़र करने लगा है
ज़रा पर क्या निकले, ज़मीं से नफरत करने लगा है,
खुद की तबाही का कितना शौक है उसे,
दिल-लगी छोड़ के मोहब्बत करने लगा है।
कवि प्रभात "परवाना"
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