जाने सजदे में, क्या क्या ढूंढता रहा
इस ज़माने में इंसा, वफ़ा ढूंढता रहा
यहाँ जर्रा जर्रा, किसी सदमे में हैं
और मै शहर में रहनुमा, ढूंढता रहा .....
सुलग सुलग कर शहर, राख हो गया
एक पागल आसमां में, धुँआ ढूंढता रहा .....
बाती अँधेरे में, सिसकियाँ भरती रही
एक चिराग रात भर, हवा ढूंढता रहा .....
इश्क लाइलाज है, सभी जानते हैं मगर
हर हकीम इस मर्ज की, दवा ढूंढता रहा.....
बच्चे, फ़कीर, माँ पर, नज़र नहीं गयी
और इंसा मस्जिद में, खुदा ढूंढता रहा.....
इस ज़माने में इंसा, वफ़ा ढूंढता रहा
यहाँ जर्रा जर्रा, किसी सदमे में हैं
और मै शहर में रहनुमा, ढूंढता रहा .....
सुलग सुलग कर शहर, राख हो गया
एक पागल आसमां में, धुँआ ढूंढता रहा .....
बाती अँधेरे में, सिसकियाँ भरती रही
एक चिराग रात भर, हवा ढूंढता रहा .....
इश्क लाइलाज है, सभी जानते हैं मगर
हर हकीम इस मर्ज की, दवा ढूंढता रहा.....
बच्चे, फ़कीर, माँ पर, नज़र नहीं गयी
और इंसा मस्जिद में, खुदा ढूंढता रहा.....