समंदर तक जाने की, हिम्मत अब नहीं है,
आंसू देख पाने की, हिम्मत अब नही है.....
चंद रोज में पढ़ डाली है, ढेर किताबे,
तेरे खत पढ़ पाने की, हिम्मत अब नहीं है.....
समझ सको तो मेरी, खामोशी को समझो,
लब से कुछ कह पाने की, हिम्मत अब नही है.....
तेरे बिन पल पल, कैसे काटा है,
वो सब कुछ दोहराने की, हिम्मत अब नहीं है.....
बरसो पहले टूटा रिश्ता, फिर जोडू,
जीते जी मर जाने की, हिम्मत अब नही है.....
वो हाथ पकड़ कर दूर तलक, चलते जाना,
यादो में खो जाने की, हिम्मत अब नही है.....
मार सको तो सीने पर, आकर मारो,
पीठ में खंजर खाने की, हिम्मत अब नही है.....
समंदर तक जाने की, हिम्मत अब नही है
आंसू देख पाने की, हिम्मत अब नही है.....
आंसू देख पाने की, हिम्मत अब नही है.....
चंद रोज में पढ़ डाली है, ढेर किताबे,
तेरे खत पढ़ पाने की, हिम्मत अब नहीं है.....
समझ सको तो मेरी, खामोशी को समझो,
लब से कुछ कह पाने की, हिम्मत अब नही है.....
तेरे बिन पल पल, कैसे काटा है,
वो सब कुछ दोहराने की, हिम्मत अब नहीं है.....
बरसो पहले टूटा रिश्ता, फिर जोडू,
जीते जी मर जाने की, हिम्मत अब नही है.....
वो हाथ पकड़ कर दूर तलक, चलते जाना,
यादो में खो जाने की, हिम्मत अब नही है.....
मार सको तो सीने पर, आकर मारो,
पीठ में खंजर खाने की, हिम्मत अब नही है.....
समंदर तक जाने की, हिम्मत अब नही है
आंसू देख पाने की, हिम्मत अब नही है.....
कवि प्रभात "परवाना"
वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com