इश्क़ और मोहब्बत में, ये क्या हो गया
जो दुनिया था वो, दुनिया जैसा हो गया...
मासूमियत से खुद आके, पूछने लगे मुझसे
वो कौन था कैसा था, और कैसा हो गया...
झूठ पर झूठ बोला तो, शाबाशियाँ मिली
जरा सच कह दिया, तो तमाशा हो गया...
जरा मुट्ठी भर राख लेकर, दिखा दो उन्हें
जिन्हे बुलंदी पे पहुँच कर, नशा हो गया...
मौका परस्ती की इम्तहां, देखिए साहब
जो कल काफिर था, अब खुदा हो गया...