शायद तुम्हे याद होगा की जादूगर ने तुम्हारे हाथ में बंधी घड़ी को गायब करके मेरी जेब से निकाला था, फिर मेरी जेब का रुमाल गायब करके अपने जादू से तुम्हारे दुप्पटे में उलझा दिया था।
जादूगर का खेल देखते देखते कब शाम से रात हो गयी हमें पता भी ना चला| घर में बताने के लिए दोनों ने मेले की खूब सारी झूठी कहानियां रट ली थी। घर पहुँचने की जल्दी में तुम्हारी घड़ी मेरे पास ही रह गयी थी। उस घड़ी को मैंने आज तक संभाल कर रखा हैं
मैं कई बरसो बाद उसी जगह से गुजरा, लेकिन अब वहा कोई चौपाल नहीं थी। वक़्त के जादूगर ने चौपाल की जगह पक्के मकान और गाड़ियों को जमा कर दिया था | मैंने गाँव के लोगो से उस जादूगर के बारे में पूछा था पता चला कि अब वो जादूगर यहाँ नहीं आता।
उस शाम की तरह इस शाम भी मैं वापस घर की तरफ चलने लगा, पर इस शाम ना मेरे हाथो में तुम्हारा हाथ था, ना तुम और ना तुम्हारा वक़्त
काश! वो जादूगर उस रात तुम्हारे हाथ में बंधी घड़ी के साथ तुम्हारा वक़्त भी मुझे दे देता।
आज वो जादूगर मिल जाए तो मैं उससे कहूँ कि वो घड़ी हमारे रिश्ते की तरह रुक गयी हैं उसे वापस तुम तक पहुंच दे।
उस पूरी रात मैं बार-बार अपनी जेबें टटोलता रहा कि शायद कोई जादूगरआज फिर से मेरी जेब में रखे रुमाल जैसे खत तुम्हारे दुप्पटे में उलझा आये।