जब दर्द भरा हो सीने में,
मजा ना आये जीने में,
चल साखी मैखाने में,
और देख मजा फिर पीने में....
मजा ना आये जीने में,
चल साखी मैखाने में,
और देख मजा फिर पीने में....
जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,
कमसिन है यौवन रसधारा, आहिस्ता से खोलिए
नुक्ताचीनी कर गैरो की, क्यों खुद पर इठलाते हो,
वक़्त बड़ा है धोखे वाला, अपनों को भी तोलिये
जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,
अब आप गवाही क्या दोगे, अपने नापाक इरादों की,
जहर भरा है नजरो में, अब लब से कुछ ना बोलिए,
जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,
कुछ मैं की खातिर जीते है, कुछ मय की खातिर मरते है,
छोड़ पराई दुनियादारी, हम इस मय के हो लिए
जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,
कवि प्रभात "परवाना"
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