बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

बोतल "जी" लगा के बोलिए

जब दर्द भरा हो सीने में,
मजा ना आये जीने
में,
चल साखी मैखाने में,
और देख मजा फिर पीने में....

जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,
कमसिन है यौवन रसधारा, आहिस्ता से खोलिए

नुक्ताचीनी कर गैरो की, क्यों खुद पर इठलाते हो,
वक़्त बड़ा है धोखे वाला, अपनों को भी तोलिये

जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,

अब आप गवाही क्या दोगे, अपने नापाक इरादों की,
जहर भरा है नजरो में, अब लब से कुछ ना बोलिए,

जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,

कुछ मैं की खातिर जीते है, कुछ मय की खातिर मरते है,
छोड़ पराई दुनियादारी, हम इस मय के हो लिए

जन्नत को ले जाएगी, बोतल "जी" लगा के बोलिए,



                                       कवि प्रभात "परवाना"
वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/ 



मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

दिल पर गुजरती है, तो लिख लेता हूँ


मेरी शराफत के चर्चे, ज़माना नहीं जानता
मैं इतना शरीफ हूँ, मैखाना नहीं जानता
दिल पर गुजरती है, तो लिख लेता हूँ हुजूर,
मैं गीत और ग़ज़ल का, पैमाना नहीं जानता .......

मुझसे कोई उम्मीद-ए-चापलूसी ना रखे,
मैं साफ़ कहता हूँ, बडबडाना नहीं जानता........

मेरी शोहरत मैंने नंगे पैरो से कमाई है
मैं बेवजह पैसा उड़ाना नहीं जानता .........

जब कह दिया परवाना तो क्यों हटू बोलो,
मैं मरने के डर से शंमा बुझाना नहीं जानता.......

दिल पर गुजरती है, तो लिख लेता हूँ हुजूर,
मैं गीत और ग़ज़ल का, पैमाना नहीं जानता ......

---------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"


शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

गर मिल जाती मधुबाला


(ये कोई कविता नहीं ये एक तुकबंदी है, आशा है आपको पसंन्द आएगी, ये सिर्फ उनके लिए है जो मधुबाला को प्यार करते है उन्हें चाहते है..) 

पी लेता विष की हाला
सह लेता भीषण ज्वाला
हाँ कह देता हर ग़म को,
गर मिल जाती मधुबाला

नाजो से है माँ ने पाला
घर है मेरा मधुशाला
तुम भी मेरे जैसे हो
एक बार कहो ना मधुबाला

दुनिया तो है सदा पराई
दुनिया ने है क्या कर डाला
करवट में है रात बिताई
एक बार आओ ना मधुबाला

छु लो लब का अमृत  प्याला
सदियो से है प्यार हमारा
गुमसुम करने में भी हाँ
एक आह भरो ना मधुबाला

---------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"


शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

पूछा उसने दिल में क्या है....


लो आग बरसी है बादलो से तमाशा तो होगा
वो हाल पूछती है पागलो से तमाशा तो होगा

जो पूछा हाल ए दिल उसने
बस चेहरा अपना दिखा दिया----------अब और बताओ क्या कहता

पूछा गुमसुम क्यों रहते हो,
पहरा अपना दिखा दिया------------अब और बताओ क्या कहता

जो पूछा क्या खाकर आये हो,
जख्म गहरा अपना दिखा दिया---------अब और बताओ क्या कहता

पूछा उसने दिल में क्या है,
सेहरा अपना दिखा दिया---------अब और बताओ क्या कहता


------------------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"