(ये कोई कविता नहीं ये एक तुकबंदी है, आशा है आपको पसंन्द आएगी, ये सिर्फ उनके लिए है जो मधुबाला को प्यार करते है उन्हें चाहते है..)
पी लेता विष की हाला
सह लेता भीषण ज्वाला
हाँ कह देता हर ग़म को,
गर मिल जाती मधुबाला
नाजो से है माँ ने पाला
घर है मेरा मधुशाला
तुम भी मेरे जैसे हो
एक बार कहो ना मधुबाला
दुनिया तो है सदा पराई
दुनिया ने है क्या कर डाला
करवट में है रात बिताई
एक बार आओ ना मधुबाला
छु लो लब का अमृत प्याला
सदियो से है प्यार हमारा
गुमसुम करने में भी हाँ
एक आह भरो ना मधुबाला
---------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
1 टिप्पणी:
Beautiful lines bhai....
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