सोमवार, 17 सितंबर 2012

ओसामा को ओसामा जी बना दिया...


मेरी पत्नी ने कहा:- अजी सुनते हो जी"
मैने कहा भागवान:-"जी मत कहो जी"
बोली प्रियतम ऐसा  भी क्या हो गया?
जो जी सुनते ही आपका जी भारी हो गया
मैं बोला बात कुछ ऐसी  है जी
देश को खा गये "मम्मी जी, बहन जी, दीदी जी, और 2 जी"
पत्नी बोली मैं आपकी बात समझती हू जी
पर आपके लिए ही तो लड़ रहे है, सुब्रमंडयं जी, स्वामी जी,और मोदी जी
मैने कहा प्रिये  तुमने सही जगह जी लगा दिया
पर उनका क्या जिन्होने ओसामा को ओसामा जी बना दिया
पत्नी बोली ऐसा  हो नही सकता "ब्यान कुछ और रहा होगा.
उन्होने ओसामा जी नही "जीजाजी" कहा होगा ...


        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com

                             

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

छोटे भैया को फिर रण मे भेज दूँगी.....


रक्षाबंधन के दिन भाई और बहन के बीच वार्तालाप चल रहा है,
भाई को सीमा पर देश की रक्षा के लिए जाना है
सीमा पर जाने से पहले बहन से  हुए वार्तालाप की कुछ कड़ियाँ

बाँध कर सर पर कफ़न, सरहद पर खड़े होते है,
जब याद आती है घर की, चुपके चुपके रोते है,
और वो क्या समझेंगे, मेरे दिल की तड़प , मेरे दिल की आह,
जो नेता सारे आम संसद मे सोते है


कफस पड़ा ही रह जाए, रक्त की धार छूट जाए,
धड़कन बंद हो जाए, साँस की रफ़्तार रूठ जाए
मुझे माफ़ करना बहन, गर
जंग मे राखी का तार टूट जाए

तू ना सही भैया ,
तेरी यादो को सहेज लूँगी,
गर्व के मौके पर गम क्यू करू?
छोटे भैया को फिर रण मे भेज दूँगी.

टूट तो ना जाओगी मेरी लाश देखकर,
माँ के बहते अश्रुओ की धार देखकर,
मुन्नी और गुड्डू की चीत्कार  देखकर ,
और मेरी जेब से मिला वो पत्र बार बार देखकर

माँ को रोता, भाभी को बिलखता
मुन्नी और गुड्डू को चीखता
और तुमको तिरंगे मे लिपटा देख लूँगी
गर्व के मौके पर गम क्यू करू?
छोटे भैया को फिर रण मे भेज दूँगी.

भारत माँ के पाक गले का वो हार हो जाए
कुलदीप वाले ख्वाब तार तार हो जाए
बोलो बहना तब बाकी क्या बचा
छोटा भाई गर जंग मे शिकार हो जाए

अर्थी पर पुष्प चढ़ाऊँगी
श्रद्धा  से शीश नवाउंगी
मैं माथे तिलक लगाऊँगी
फिर बह्र्मस्त्र अपनाउंगी
मैं रणचंडी बन जाउँगी 
तब मैं रण मे जाउँगी 
तब मैं रण मे जाउँगी 


        कवि प्रभात "परवाना"
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