मेरा सर तेरे दर पर रहे, तो अच्छा है
कुछ दर्द मुक्क़दर में, रहे तो अच्छा हैं
तेरे किस्से इसलिए जुबा पर, नहीं लाया
घर की बात घर में रहे, तो अच्छा हैं...
अश्क़ो की हिफाज़त, आँखों में है साहब
गंगा बस समंदर में रहे, तो अच्छा है...
बुत-तराश को रोको, इसे शक्ल ना दे
ये खुदा पत्थर में रहे, तो अच्छा है...
गाँव में राम ओ रहमा, साथ रहते हैं
शहरी लोग शहर में रहे, तो अच्छा है...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें