रविवार, 15 अप्रैल 2012

जिन्दा है जिस्म, रूह से मर गया हूँ मैं...

जिस प्रकार व्यापार का बहीखाता साल के अंत में व्यवस्थित होता है, उसी प्रकार मनुष्य भी अपने कर्मो का आंकलन समय समय पर करता है, और अगर सच्चे मन से मनुष्य खुद का आंकलन करे तो वो वह पाएगा की वास्तविक रूप से वो बहुत गिर चुका है..... अगली बार आप सोने से पहले इस कविता को मन ही मन गुथना...आप पाओगे की शायद, मेरी ये कविता सच्चाई से होकर गुजरती है, आपकी प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा.........


अपने बुने जाल में फस गया हूँ मैं,
सुलझने की चाह में, और उलझ गया हूँ मैं,
ला आज इस महफ़िल में, ये सच बोल दू,
नकाब बदलते बदलते, बदलते थक गया हूँ मैं.............

धोखा फरेब ही नहीं, दरिंदगी भी लांघ ली,
ना जाने किस किस हद्द से गुजर गया हूँ मैं.......

वो भूखे पेट नींव की, ईट ढोता रहा
और कंगूरे सा अकड़ कर, संवर गया हूँ मैं ...........

ना दया, ना धर्म और ना पाप की फिकर है,
जिन्दा है जिस्म, रूह से मर गया हूँ मैं......... 

-----------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"  
वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/ 


               

11 टिप्‍पणियां:

bhagat ने कहा…

जीवन की सच्चाई बयां करती पंक्तियाँ. आदमी ये तब ही महसूस करता है जब केवल लोन की emi और केवल अपने परिवार के लिए ही कमाता है स्वयं को भूल कर.

ashuman ने कहा…

Waah !!! Subhaan Allah !!!

अनिल ने कहा…

वाकई दिलको घायल करने वाले लब्जहे ।

rajiv ने कहा…

bakai aap kamal ho

jitendra kuame ने कहा…

SIR JI KOI JABAB NHI...

jitendra kuame ने कहा…

SIR JI KOI JABAB NHI...

SATISH KUMAR MAURYA ने कहा…

SIMPLE BREATHING IS NOT LIFE.
LIFE IS AN ACTION, CHALLENGE AND ADVENTURE WORK.

DEKHTE HAI KUCHH, DIKHATE KUCHH AUR HAI
SUNTE HAI KUCHH, GUNGUNATE KUCHH AUR HAI.
KYA AJAB DASTOOR HAI,
HAMARI IS MAHFIL KA DOSTO
KAHTE HAI KUCHH, BATATE KUCHH AUR HAI.

जी.आर.दीक्षित ने कहा…

bahut aachche kavi g aap ki rachnaye padhkar bahut kuch sekhne ko mila dhanybad

जी.आर.दीक्षित ने कहा…

aapki rachnao ko padh kar kafi kuch sekhane ko mila
dhanybad

PRAFULL560 ने कहा…

prabhat ji apki blog aursoch-vichar hame bahut acchhe lage...
ham aapke updates daile chek karte hai aur share karte apne frndzz se.....

seema sharma ने कहा…

आपकी रचनाऐ बहुत अच्छी लगती और उससे बहुत कुछ सिखने को मिलता हे