शनिवार, 14 जुलाई 2012

खूबसूरत है तू जिंदगी के लिए .......


खूबसूरत है तू जिंदगी के लिए , 
मौसम है हसीं आशिकी के लिए ...........

कांटे चुभते रहे, और मैं हँसता रहा ,
फूल चुनता रहा बंदगी के लिए...........

यूँ तो गुल से भरा था मेरा आशियाँ 

दिल मचलता रहा एक कली के लिए........

अश्को-गम का समन्दर ही जो दे सका,
मैं तड़पता रहा बस उसी लिए.............

इतने खाए है खंजर ज़माने से सुन
हाथ उठता नहीं दोस्ती के लिए ............

---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/

1 टिप्पणी:

नयी सोच ने कहा…

बहुत ही उम्दा .... !!!