मंगलवार, 10 जून 2014

हमको हालातो से लड़ना आता है....


उनको ग़म के आंसू, पीना आता है
हमको भीगी आँखे, पढ़ना आता है
खंजर खाके, इस महफ़िल तक आये है
हमको हालातो से, लड़ना आता है.....

ऐ पत्थर दिल, तेरी कड़वी यादो से
हमको मीठी ग़ज़लें, गढ़ना आता है.....

पढ़ ले तो तेरी आँखे, भी रो देंगीं
हमको ख़त में आँसू, भरना आता है.....

बस इतना ही सीखा है, इस दुनिया में
वादे की खातिर जीना, मरना आता है.....

कह देते हो सारी बाते, आंखो से
तुमको भी क्या खूब, करीना आता है.....

चादर तकिये मे कई, समंदर रखते हैं
दिलवालो को क्या क्या, करना आता है.....

      कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:-  www.prabhatparwana.com



1 टिप्पणी:

Mahaveer Prasad Khileri ने कहा…

parbhat je mera blog bhee aap jasi set kar do...