शनिवार, 23 जुलाई 2011

इस जहाँ में इंसान ना मिला


हिन्दुस्तान भी मिला, पकिस्तान भी मिला
कट्टर हिन्दू भी मिला, कट्टर मुसलमान भी मिला
ग़म मन में बस एक यही है दोस्तों,
इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला

खून दंगे, लाठी गोली हर जगह मिले,
पर कही मन की शान्ति का पैगाम ना मिला

अहम् का नशा, फिर बहम का नशा
पर सत्य में डुबो दे ऐसा जाम ना मिला

राम और रहीम तो कई जगह मिले
पर सबको साधता एक भगवान् ना मिला

खुदा भी रो रहा है बट बट के देख लो
उसे इंसान से जहां में ,सही मान ना मिला

मजहब के नाम तो पल भर में रख दिए
क्यों इंसान के धर्म का कोई नाम ना मिला

ग़म बस मन में एक यही है दोस्तों
इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला 
इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला 
       कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com




5 टिप्‍पणियां:

नीरज द्विवेदी ने कहा…

Sarthak Rachna ..

बेनामी ने कहा…

बहुत अच्छा लिखते हो ..

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत ही सुन्दर,शानदार और उम्दा प्रस्तुती!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

9 दिन तक ब्लोगिंग से दूर रहा इस लिए आपके ब्लॉग पर नहीं आया उसके लिए क्षमा चाहता हूँ ...आपका सवाई सिंह राजपुरोहित

SARITA ने कहा…

insan insaan hi hai.. kyun khali hindu musalmaan bahad aaur bhi hai.. dhundne ki bas el najar chahie. khudke andar pao har o hindu, har musal maan ki dhamaniya, khud hi luta aur lutaya jahan, khuda ab roega nehin to kya karega, har ek ko sochke karneki shakti jo dia uska dhaga haath mein rakha hi nehin, ... chhodo abhi yeh baatein kattar insaan savi hai , bas kuchh khas upalabdhion ki baat hai... khuda to bas ek jajba hai