सोमवार, 18 जुलाई 2011

आज सब खो जाने दीजिए.........

मुझे पल्लू छू लेने दीजिए,
इस बहाने मुझे रो लेने दीजिए
मुझे पल्लू छू लेने दीजिए,
कुछ जख्म जमे है तलहट-ए-दिल पर
आज मुझे धो लेने दीजिए,


मर मर कर लाश सा चलता हू मैं
आज मुझे जी लेने दीजिए
जाम छूआ तो नाम शराबी रख दिया
बदनाम हुआ हू पी लेने दीजिए
आज मुझे जी लेने दीजिए.


कितना दीवाना था मैं आपका
ज़माने को दिख जाने दीजिए
बुलावा है सब पैसे वालो को,
आज मुझे बिक जाने दीजिए
ज़माने को दिख जाने दीजिए


क्या कमाया है मैने दुनिया मे?
आज सब खो जाने दीजिए
मौत मेरी है नींद आख़िरी,
अपनी गोदी मे सो जाने दीजिए
आज सब खो जाने दीजिए


आज सब खो जाने दीजिए
आज सब खो जाने दीजिए.........


प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"


2 टिप्‍पणियां:

रेखा सक्सेना ने कहा…

इतनी छोटी उम्र और इतना दर्द ..

SARITA ने कहा…

YE KAVITA KE ROM ROM MEIN PYAR HI PYAR HAI... BAS ISSE DILKO CHHU LENE DIJIE.