अक्सर लोग कहते है प्रभात जी आप अपनी लेखनी में इतना विकराल रूप कैसे रखते है?
अभी हाल में में प्रचलित मेरी कविता "हमले होते रहेंगे" पर भी लोगो ने इसी तरह की प्रतिक्रिया दी
मित्रो आप ही बताओ जब इस देश का पढ़ा युवा नौकरी के लिए भटके , आटा चीनी चावल तेल का भाव इतना की व्यक्ति उलझन में पड़ जाए की परचून की दूकान पर लेने जाए, या सुनार की।
और जनता की मेहनत के पैसे से विधायक अपनी गाडी में पेट्रोल भरवा कर काले शीशे चढ़ा कर इस तरह मुह फेर कर निकल जाए जैसे आम जनता अछूत हो।.
एक तरफ रोज 20 लाख लोग भूखे पेट सोते हों और दूसरी तरफ कसाब को बिरयानी और जेड प्लस सुरक्षा मुहैया करवाई जाए
क्या एक सच्चे देश प्रेमी का खून नहीं खौलेगा ?????
मेरी एक कविता की विडियो आपके हवाले करता हूँ,सिर्फ पांच मिनट मुझे मेरे शब्दों को मेरी कविता को दीजिये।
आप भी कहेंगे इन्कलाब जिंदाबाद
http://www.youtube.com/watch?v=L6x-RfQcoJ8
---------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/
1 टिप्पणी:
Well done sir. sir aap www.prabhatkumarbhardwaj.tk website bana sakte h wo bhi free me.
i am a webmaster.one question sir can i take some material from your blog with your name.
my self subhash mahla sasrolia
email: serialkeyguru@gmail.com
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