वो बुरा करे, करने दीजिये,
खुदा ही सजा देगा, मान के चलिए .....
ख्वाब तोड़िए , ज़मीं पर उतरिये साहब ,
दोस्त ही दगा देगा, मान के चलिए ......
कौन है जो गुल में, खंजर रखता है,
वक़्त सब बता देगा, मान के चलिए ......
तेरे बलिदान उसे, बुलंदी पर ले गए बेशक,
वो सब भुला देगा, मान के चलिए ......
माँ बाप को ठोकरे खिला रहा है जो अब तलक
तुझे क्या सिला देगा, मान के चलिए ......
4 टिप्पणियां:
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बेहतरीन रचना
बेहतरीन रचना
बहुत ही बढ़िया
सादर
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