मंगलवार, 1 जनवरी 2013

मान के चलिए ......


 वो बुरा करे, करने दीजिये, 
खुदा ही सजा देगा,  मान के चलिए .....

ख्वाब तोड़िए , ज़मीं पर उतरिये साहब ,
दोस्त ही दगा देगा, मान के चलिए ......

कौन है जो गुल में, खंजर रखता है,
वक़्त सब बता देगा, मान के चलिए ......

तेरे बलिदान उसे, बुलंदी पर ले गए बेशक,
वो सब भुला देगा, मान के चलिए ......

माँ बाप को ठोकरे खिला  रहा है जो अब तलक 
तुझे क्या सिला देगा, मान के चलिए ......

        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com


4 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 05/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

Unknown ने कहा…

बेहतरीन रचना

Unknown ने कहा…

बेहतरीन रचना

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया


सादर