हर साक़ी, हर पैमाने को है,
ये ख़बर, ज़माने को है,
मुझे मैखाने की आदत नहीं,
मेरी आदत, मैख़ाने को है .....
शेख जी आज बिन पिए ही चले गए,
लगता है कोई तूफां, आने को है .....
बस्ती जलाकर जिसने महल बनाया है
पहला खतरा उसके आशियाने को है .....

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