शुक्रवार, 12 जून 2015

कुछ ना कुछ तो अंदर टूटा जरूर है.....


आँखे बता रही है, कुछ हुआ जरूर है
कुछ ना कुछ तो अंदर, टूटा जरूर है.....  
गिरते गिरते कई बार, संभला हूँ मैं
मेरे साथ किसी की, दुआ जरूर है 
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कल शब से ही, महकने लगा हूँ मैं
ख्वाब में सही, उसने छुआ जरूर है 
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खता करने से पहले, रोक दिया किसने
मेरे जहन में बैठा, कोई खुदा जरूर है 
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जिस्म क्या रूह भी, खुद की नही रहती
इश्क़ किया हो न हो, तजुर्बा जरूर है 
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        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com


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