शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

नए युग का प्रचार हूँ, नयी सदी का विचार हूँ

प्रफ्फुल हूँ, प्रचंड हूँ मै, तेज सिंह सा कभी तो, नीर सम मंद हूँ मै,
शांत चाँद सा कभी तो, सूर्य सम तेज हूँ मै,
नर्म पुष्प सा कभी तो, कांटो की भी सेज हूँ मै,
गगन सा विशाल हूँ, शतरंज की मै चाल हूँ
कृपाण का सा चीर हूँ, निष्पक्ष शूर वीर हूँ
गुनाह का मै काल हूँ, दर्द की मै ढाल हूँ
नए युग का प्रचार हूँ, नयी सदी का विचार हूँ
मत कहो की अचेत हूँ मै, श्वान सा सचेत हूँ मै
गरीब की पुकार हूँ, शत्र धारदार हूँ
चमकता स्वाभिमान हूँ, भारत का अभिमान हूँ
आंतंक का मै नाश हूँ, प्रशत्र आकाश हूँ
नवीन हूँ प्रवीण हूँ, राई सा महीन हूँ
बैठा हूँ चौराहे पर, पर ना समझो की मै दीन हूँ
बैठा हूँ चौराहे पर, पर ना समझो की मै दीन हूँ ......

प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"




2 टिप्‍पणियां:

नीरज द्विवेदी ने कहा…

Bahut hi lajabab tareeke se paribhashit kiya hai aapne.

My Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
.

बेनामी ने कहा…

Wao.......imagine.....sir g......I LIKE U and UR BLOGS.....YAR APNE TO KAMAL H KAR DIYA.APNE BAHUT ACHHE SHABDO KO NIYOJIYAT KARKE EK 'GAJAB' BLOG BANAYA H.......
..............
YOU .....ARE....,GRE@T.......PERSON.........