शनिवार, 2 जून 2012

एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया........


अभी हाल ही में मथुरा में हुए हिन्दू मुस्लिम दंगो पर लिखी कविता
इसे हिन्दू या मुस्लिम मान कर नहीं, इंसान मान कर पढ़े....

 
काम करू सच्चा तो मतलब पूछ लेते है लोग
और बात कहू कडवी तो मजहब पूछ लेते है लोग

मुझे मेरी औकात बताने आ गया,
एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया
कि कच्ची नींद में होगी, मुन्नी मगर देखो,
रास ना था चैन, उसको जगाने आ गया

क्या खूब कारीगर है खंजर और तमंचो का

मेरी गालिओ को खूं से सजाने आ गया

एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया.....


इधर मरहम बिना था जख्म, देखो मुफलिसी मेरी,

उधर वो शूल का अस्तर लगाने आ गया

एक काफिला मेरा घर जलाने आ गया........


-----------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/


1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

aap bhi jhuk gaye inke samne.is rashtra ko shivaji, savarkar, jaise hindutva wadi hi chaihe