छोटी सोच में कभी फैलाव नही आता
पोखरों में कभी सैलाब नही आता
और खानी पड़ती है हस के सीने पर गोलिया
बस इन्कलाब कहने से इन्कलाब नही आता
---------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.
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