रविवार, 5 अगस्त 2012

इन्कलाब कहने से इन्कलाब नही आता.....

छोटी सोच में कभी फैलाव नही आता
पोखरों में कभी सैलाब नही आता
और खानी पड़ती है हस के सीने पर गोलिया
बस इन्कलाब कहने से इन्कलाब नही आता


---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
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