शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

थोड़ा इन्तजार कीजिये .....


हमसे कितना दूर जाएंगे,
हमें पता है, वो लौट आएँगे, थोड़ा इन्तजार कीजिये .....

ये हया का पर्दा है, धीरे धीरे हटेगा,
वो नज़र मिलाएंगे ,थोड़ा इन्तजार कीजिये .....

मैं गिरू, तो मेरा हाथ थाम लेना,
तुम्हे मोहब्बत के वादे याद आएँगे, थोड़ा इन्तजार कीजिये .....

कई रोज़ बाद मिला, तो आँख भर आई ,
हम भी मुस्कुराएंगे , थोड़ा इन्तजार कीजिये .....

उन्हें देखकर हमने बहुत कुछ लिख डाला ,
कभी और सुनाएंगे , थोड़ा इन्तजार कीजिये .....




        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com




1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Wow that was odd. I just wrote an very long comment but
after I clicked submit my comment didn't appear. Grrrr... well I'm not writing all that over again.
Anyway, just wanted to say wonderful blog!


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