मंगलवार, 20 मई 2014

तिरंगा बना दिया......


हम क्या थे और हमे, क्या बना दिया
उसकी महर ने हमे, बंदा बना दिया
मुफ़लिस बच्चे ने पूछा, रोटी क्या शय है
मैंने कलम उठायी और, चंदा बना दिया

अँधेरे हर पल मुझे, रास्ता दिखाते रहे
इस चकाचौंध ने मुझे, अंधा बना दिया

एक ज़माना था, इबादत-ए-शायरी का
कुछ खुदगर्जों ने इसे, धंधा बना दिया

मौत को रंगीनिया अता की, इस तरह
मैंने कफ़न रंग दिया, तिरंगा बना दिया। 

        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:-  www.prabhatparwana.com

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