रविवार, 18 दिसंबर 2011

बहुत याद आओगे तुम..........


एक दिन मुझे भूल जाओगे तुम,
कही दूर नजरो से चले जाओगे तुम,
लब्ज मेरे ना बयां कर सकेंगे कहानी,
कसम से बहुत याद आओगे तुम............

आज रोती हूँ तो हँसा लेते हो झटपट से,
कल पहरों मुझे तन्हा रुलाओगे तुम.......

भिगोने को मेरा पल्लू, तेरी यादे है आँखों में,
मेरी हर ख़ुशी हर ग़म में छलक जाओगे तुम..............

तेरे प्यार की बारिश में, देखो तर-बतर हूँ मैं
कल यही एक एक बूँद को मुझे तरसाओगे तुम..............

कटी पतंग सी अधर में, ही रह जाउंगी मैं सनम,
जब दूर जाकर कहीं मुझे आजमाओगे तुम..................

चादर ओढ़ लम्हों की, सुनहरे साथ बीते जो,
हाय! मर ना जाऊ कही? कितना तडपाओगे तुम?..............

एक सवाल होगा बस यही, कभी खुद से, खुदा से भी,
रंग भरने को जीवन में, क्या कभी लौट पाओगे तुम?
रंग भरने को जीवन में, क्या कभी लौट पाओगे तुम?



                                  कवि प्रभात "परवाना"
वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/ 




3 टिप्‍पणियां:

नीरज द्विवेदी ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति प्रभात जी ...
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Mannu ने कहा…

gud one prabhat....liked it....keep it up..........

seema sharma ने कहा…

बहुत सुंदर कविता हे सर, मुझे सर आपकी कविताये बहुत पसंद आती हे