मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
हँसती आँखों में शबनम है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
ना दौलत है, ना शौहरत , फिर क्यों वो मुझको अपनाए
उस शम्मा के लाखो हमदम है, महफ़िल वाले क्या जाने
मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
रोज जुदाई, रोज मिलन , फिर रोज नयी तकरारे है,
ये गालो पे किसका चुम्बन है, महफ़िल वाले क्या जाने.........
मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
इश्क, मोहब्बत, प्यार, वफ़ा की बाते साकी ना करिओ
ये सांपों का चन्दन-वन है, महफ़िल वाले क्या जाने ..............
मेरे दिल में किसका ग़म है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
हँसती आँखों में शबनम है, महफ़िल वाले क्या जाने .........
---------------------------------कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
1 टिप्पणी:
really heart touching
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