बचपन में एक गाना सुना था, अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ऐ दिल ज़माने के लिए ......
पिछले कुछ दिनों से मैं लगातार इस कार्यक्रम में फेसबुक के मित्रो से शामिल होने की अपील के साथ कर रहा था, मैंने कहा था, मुझे पैसा, या कोई भी साधन नहीं चाहिए.चाहिए
बस आप की उपस्तिथि चाहिए,
कुछ मित्रो के फ़ोन भी आये कुछ दूर होने की वजह से नहीं आ पाए,
पिछले कुछ दिनों से मैं लगातार इस कार्यक्रम में फेसबुक के मित्रो से शामिल होने की अपील के साथ कर रहा था, मैंने कहा था, मुझे पैसा, या कोई भी साधन नहीं चाहिए.चाहिए
बस आप की उपस्तिथि चाहिए,
कुछ मित्रो के फ़ोन भी आये कुछ दूर होने की वजह से नहीं आ पाए,
लेकिन मैंने कहा था ना प्रोग्राम तो करना ही था ,
19-5-12 को दिल्ली के आश्रम के पास एक अनाथालय में गया,
मेरे साथ ज्योति जागरूक के अध्यक्ष अरुण जी भी थे, हमने वहा बच्चो को खाना खिलाया
और सिर्फ खिलाया ही नहीं, अपने हाथो से खिलाया,
उनके साथ कुछ पल बिठाये, उनका सुख दुःख बांटने की कोशिश की, वाकई दिन सुखद रहा ,,
एक गाना याद आ गया, किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार.........
आशा है आपको इन छाया चित्रों के माध्यम से कुछ मानसिक शान्ति मिली होगी,
और आगे आप हमसे जुड़ेंगे भी।
वहा की मार्मिक अनुभूति के लिए विडियो अवश्य देखे ...
मेरे साथ ज्योति जागरूक के अध्यक्ष अरुण जी भी थे, हमने वहा बच्चो को खाना खिलाया
और सिर्फ खिलाया ही नहीं, अपने हाथो से खिलाया,
उनके साथ कुछ पल बिठाये, उनका सुख दुःख बांटने की कोशिश की, वाकई दिन सुखद रहा ,,
एक गाना याद आ गया, किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार.........
आशा है आपको इन छाया चित्रों के माध्यम से कुछ मानसिक शान्ति मिली होगी,
और आगे आप हमसे जुड़ेंगे भी।
वहा की मार्मिक अनुभूति के लिए विडियो अवश्य देखे ...
प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना "
(समाज सेवक)
(समाज सेवक)
वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/
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