शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

अपनी नज़र में गिर जाए ऐसा काम ना करना..........


जो लोग आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए सोच रहे हो , वो एक बार इस कविता को जरूर पढ़े

हारकर कभी अपने जीवन की शाम ना करना,
माना थका है मुसाफिर, पर अभी आराम ना करना.......

बेदिल होकर बसर है कई काफिर इस जहां में,
खुद अपनी नज़र में गिर जाए ऐसा काम ना करना..........

तपते कुंदन की गुहार तुझसे है मुसाफिर
रोकर जिंदादिली को यू बदनाम ना करना..........

कई मैखानो में दफ्न है, बुझदिली के निशाँ
अपनी जिंदगी को बेनामी का जाम ना करना.........

मीलो फैली रेत में , तू पानी सा "प्रभात"
नासमझी में वजूद को यू, गुमनाम ना करना..........



                                    कवि प्रभात "परवाना"
वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/ 





3 टिप्‍पणियां:

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

bahut hi sahi baat kahi hai apne jindagi me haar jit to lagi hi rahati hai,,,haar se sabak lekar or jit ki khusiya manakar jivan ke har pal ko jina chahiye...

संजय भास्‍कर ने कहा…

ये गज़ब....वाह! क्या गज़ल कही है...

बेनामी ने कहा…

Baat sahi hai par dil bahut rota hai.
hum aisa kadam ni udhayenge.hamara koshish yahi hoga.