मित्रो, काफी दिनों से कुछ नया नहीं लिख पा रहा हूँ, पर ऐसा नहीं की मैं आपको निराश करूँगा.. वो क्या है ना फेसबुक पर कई मित्रो ने कहा की समाज सेवा फेसबुक पर करते हो, एंड ब्ला ब्ला ब्ला, अब उन नादानों को कौन समझाए की हम करीब ३ साल से जमीनी लड़ाई लड़ रहे है सामाजिक मंचो पर जाकर, संस्थाओं से जुड़ कर, कभी वक़्त निकाल कर जानने की कोशिश नहीं की हमारे बारे, और बस मन में आया दे डाला कमेन्ट, बिना ये सोचे की ये बात किसी के दिल को कितना आघात पंहुचा सकती है, चलिए जाने दीजिये, भारत स्वाभिमान और अन्ना हजारे के मंच से लेकर एक नये मंच श्री गोविन्दाचार्य जी से भी जुड़ते हुए, अपनी सामजिक जीवन में एक नया अध्याय जोड़ने की कोशिश में दिल्ली के जंतर मंतर पर एक नयी कविता के साथ आपके बीच, मुद्दा था ग्राम पंचायत को केन्द्रीय बजट के सात प्रतिशत मिले... आशा है आपका प्यार इस नयी रचना पर जरूर बरसेगा
कवि प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
4 टिप्पणियां:
आपकी कविता पसंद आई...बहुत खूब...
प्रभात जी,
प्रणाम्
नमस्कार भाई शाहब,
में विकास चौधरी, छात्र नेता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्.
आपके समाज सेवा के कामो का में समर्थन करता हूँ |
मुझे आपका सहयोग चाहिए है क्योंकि में युवाओं को ध्यान में रखकर एक वेबसाइट का निर्माण कर रहा हूँ | में युवाओं के दिल तो टटोलना चाहता हूँ, उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित करना चाहता हूँ.......
इस देश सेवा के काम में आपका सहयोग अपेक्षित चाहता हूँ |
विकास भाई , मैं सदैव आपके साथ हु, आप मुझे अपनी थोड़ी सी जानकारी मेल पर दे prabhatkumar.bhardwaj@gmail.com
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