रविवार, 27 मई 2012

बेटा नहीं सपोला पाला था..


बेटा नहीं सपोला पाला था मैंने-( एक वृद्ध आश्रम में अपने अंतिम दिन गुजार रहे वृद्ध का कथन )
ये शब्द सुनकर मेरी आत्मा सिहर उठी,

आज वृद्ध आश्रम में एक छोटा सा प्रोग्राम किया, वहा हमने बुजुर्गो के स्वास्थ के लिए कुछ खाद्य सामग्री के साथ साथ जूस आदि की व्यवस्था की थी , उनके मनोरंजन के लिए एक मैजिक शो के साथ साथ मेरी कविताओं का आयोजन था विडियो देखने के लिए क्लिक करे :-
http://www.youtube.com/watch?v=ZpHL2Gm4IlQ&feature=youtu.be

हमने उनका दर्द जरुरत महसूस किया, वाकई अगर आप लोग वहा होते तो आत्मा हिल जाती,,

उनके कहे एक एक शब्द दिल में चुभ रहे थे

एक बुजुर्ग ने बताया ऊनके बेटे और बेटी नहीं है उनकी शादी होते ही उनके पति ने उनको धोखा दे दिया

फिर उन्होंने बिना किसी कानूनी तलाक के उनसे किनारा कर लिया,

अब उन्होंने एक बेटी अडोप्त की जो अमेरिका में है(5-6 महीने में उन्हें 10,000 रूपये भेज देती है) , उन माता जी की खुद की अच्छी खासी सरकारी पेंशन आती है

किसी चीज की कोई कमी नहीं बस अपनेपन की कमी थी जिसे मैंने अपनी कविताओं से दूर करने की कोशिश की

एक बुजुर्ग महिला ने बताया की कैसे उनके परिवार वालो ने उन्हें धोखे से वृद्ध आश्रम छोड़ दिया


इस छोटी सी पहल से दिल का बोझ हल्का हो गया की आज हमने किसी की मदद की, भगवान् हमें इसी काबिल बनाये रखे , अगर आप हमसे जुड़ना चाहते है तो कोई शुल्क नहीं है, आप हमसे 9212233555 पर संपर्क कर सकते है


विडियो का लिंक :-
http://www.youtube.com/watch?v=ZpHL2Gm4IlQ&feature=youtu.be

इसे इतना शेयर करे की कोई बेटा अपने माँ बाप को कभी वृद्ध आश्रम ना छोड़े

---------------------------------कवि  प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
 वेबसाईट का पता:- http://prabhatkumarbhardwaj.webs.com/

2 टिप्‍पणियां:

umesh sati ने कहा…

ati uttam

बेनामी ने कहा…

ati uttam