मैंने दिल के बागीचे में कोपल पाया है,
क्या फिर से सावन आया है?
क्या फिर से सावन आया है?
अब हरा दिखाई देता है,
सब भरा दिखाई देता है,
मन के पंछी का पिंजड़ा भी,
अब धरा दिखाई देता है...
जाने कौन है परदेसी जो मन को भाया है,
क्या फिर से सावन आया है?
क्या फिर से सावन आया है?
मनचली पतंग सी उड़ जाऊ...
मनचाही गली में मुड़ जाऊ
रस्मे वादे ना समझू मैं,
बस सीधे उससे जुड़ जाऊ....
नैनन में जादू हाय कैसा ये डार के लाया है.........
क्या फिर से सावन आया है?
क्या फिर से सावन आया है?
2 टिप्पणियां:
waw..
very beautiful....
.........................जानदार शेर .....उम्दा ग़ज़ल
संजय भास्कर
आदत......मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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