सोमवार, 25 अप्रैल 2011

आपकी कसम......

पर नहीं है पर परिंदा हूँ मै
हालातो पर शर्मिंदा हूँ मै,
मेरा हाजमा देख कर हैरान है दुनिया
इतने गम खा कर भी जिन्दा हूँ मै


दिल जिनका नर्म और दिमाग सादा था,
जिनसे उम्र भर साथ निभाने का वादा था
आज वे ही गुमराह कर बैठे है मुझे 
जिन पर विश्वास मुझे खुद से ज्यादा था 



आईने भी इजहार करने लगे है,
छुप छुप के दीदार करने लगे है,
मेरी तस्वीरे उनकी किताबो से मिली है,
सबूत है, वो प्यार करने लगे है 


इस कदर उड़ गया उनके होश में,
याद करके पल आ जाता हूँ जोश में
वो और मै झूले पर, माहौल देखिए
मै उनके और वो मेरे आगोश में 




दुनिया के लिए प्यार एक मजा है,
आशिक के लिए प्यार एक सजा है,
होगा अंधेरो को गिला प्यार से
क्युकी "प्रभात" के लिए प्यार एक नशा है 

प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"


कोई टिप्पणी नहीं: