गम नहीं ये की मै मर गया हूँ , गम यही की वो आये नहीं है,
बागो में किये थे जो वादे, उसने अब तक निभाए नहीं है,
गम नहीं ये की मै मर गया हूँ , गम यही की वो आये नहीं है,
जालिम दुनिया जलाने से पहले, कोई उनको यहाँ पर बुला लो,
मेरी आँखे खुली छोड़ देना, उनसे नजरे मेरी तो मिला दो,
यकीं है की वो आएँगे, अपने है पराये नहीं है...
गम नहीं ये की मै मर गया हूँ , गम यही की वो आये नहीं है,
कुछ निशा रह गए थे जो बाकी, कोई उनको छुपा कर मिटा दो,
मेरी मय्यत उठे उससे पहले, उनको मेरे गले से लगा दो
वो जो ख़त तुने मुझे लिखे थे, मैंने अब तक जलाये नहीं है,
गम नहीं ये की मै मर गया हूँ , गम यही की वो आये नहीं है,
न मरूँगा मै ना ही जलूँगा जब तक तेरा सहारा ना होगा,
ना ही रूह को आजादी मिलेगी ना ही जन्म दुबारा होगा,
इन राहो पर रखो कदम जी, मैंने कांटे बिछाये नहीं है
गम नहीं ये की मै मर गया हूँ , गम यही की वो आये नहीं है
बागो में किये थे जो वादे, उसने अब तक निभाए नहीं है..............
प्रभात कुमार भारद्वाज "परवाना"
1 टिप्पणी:
फूलो से कह दो महकना बंद कर दे, की उनकी महक की कोई जरूरत नही....
सितारो से कह दो चमकना बंद कर दे, की उनकी चमक की कोई जरूरत नही....
भवरो से कह दो अब ना गुनगुनाये, की उनकी गुंजन की कोई जरुरत नही....
सागर की लहरे चाहे तो थम जाये, की उनकी भी कोई जरुरत नही....
सुरज चाहे तो ना आये बाहर्, की उसकी किरणो की भी जरुरत नही....
चाँद चाहे तो ना चमके रात भर, की उसके आने की भी जरुरत नही....
वो जो आ गये हैं इस जहाँ में, तो दुनिया मे और किसी खूबसूरती की जरुरत ही नही ..
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