शनिवार, 23 अप्रैल 2011

उसने कभी प्यार किया था.....


चांदनी रात में मैंने इजहार किया था,
आँखे ततेरी उसने फिर इनकार किया था,
उसकी बेवफाई ही सबूत बनी है दोस्तों,
की हाँ उसने मुझसे कभी प्यार किया था......
ये जो इश्क का रोग है ,सब उसका ही दोष है 
दर्द-ए-दिल देके मुझे बीमार किया था 
उसकी बेवफाई ही सबूत बनी है दोस्तों,
की हाँ उसने मुझसे कभी प्यार किया था....
दिल को खिलौना जान कर, बस एक मजाक मान कर 
तोडा, मरोड़ा और फिर उसे तार तार किया था 
उसकी बेवफाई ही सबूत बनी है दोस्तों,
की हाँ उसने मुझसे कभी प्यार किया था.....
क्यों लिखे ख़त मुझे खून वाले उसने 
गम के समंदर में भी सुकून वाले उसने 
नाम लिख हथेली पर मेरा क्यों इख्तियार किया था
उसकी बेवफाई ही सबूत बनी है दोस्तों,
की हाँ उसने मुझसे कभी प्यार किया था...............


प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"





2 टिप्‍पणियां:

mere jeevan ki kashti... ने कहा…

jaari rakhiye likhna prabhat bhai...bahut kashish hai aapki baaton mein.....

girish ने कहा…
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