रविवार, 13 मार्च 2011

मेरे बाद

खुदा खुद की लिखी पे रोये, मेरा जनाजा कुछ इस तरह उठाना दोस्त
बस सुमन हो श्रदा के, गोटा हो प्रीत का, मेरा जनाजा कुछ इस तरह सजाना दोस्त
मेरे  दरस को तरस जाए दुश्मन सभी मेरे, मेरा कफ़न कुछ इस तरह उड़ाना दोस्त,
हवा भवर, बरखा सब तान पड़े फीकी, मृत संगीत कुछ इस तरह बजाना दोस्त,
कण कण मिले गंगा में हुस्न का, मेरी राख कुछ इस तरह बहाना दोस्त,
बस यार यार था वो यारो का, मेरा परिचय कुछ इस तरह कराना दोस्त 
मै रहू सबकी आँख में खुशी का अश्रु बन के, मेरे बाद जहाँ को इस तरह हसाना दोस्त!!!!!!!!! 

 प्रभात कुमार भारद्वाज "परवाना"




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