शुक्रवार, 18 मार्च 2011

...और मै लिखता जाऊंगा


आज  बधाई देने दुनिया मेरे दर पे आई है,
पर भीड़ भरे मेरे घर में , जाने कैसी तन्हाई है,
मशहूर किया है तूने मुझको, सारी दुनिया ने जाना है,
अपना जिस जिस को समझा, पाया उसको बेगाना है,
गहरा रिश्ता होता है, कुछ मौतों का  गहराई से,
तेरे सितमो को लिख डाला है मैंने खूनी स्याही से,
गुस्से को मै पी जाता था, धोखा जब जब खाता था,
अश्क बहाता रहता  था ,पर मै लिखता जाता था,
दुनिया में बस मेरी चर्चा है, मेरे गम की बाते होती है,
ऊपर से तू खुश दिखती है, पर अंदर अंदर रोती है,
क्या तेरे अहसानों का मै, बदला भी दे पाऊंगा,
तू बस गम ही  गम देती जा, और मै लिखता जाऊँगा
तू बस गम ही  गम देती जा, और मै लिखता जाऊँगा.......

प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
                       





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