बुधवार, 23 मार्च 2011

दाग बिना चाँद


खुदा ने खुश हो कर ये बयाँ कर दिया , मांग ले तीन इच्छा जा तुझे वर दे दिया
मैंने कहा खुदा मैंने तेरी आज तक कभी उपेक्षा नहीं की, आज एक तेरे से एक अपेक्षा करना चाहता हू
मुझे बस एक चीज का सुरूर है, वो चाँद जिस पर तुझे गुरूर है, "क्या मुझे वो चाँद दे सकता है?"
खुदा बोला नहीं घुर्राया भी, मुहं लाल हुआ थर्राया भी,
तूने आज तक कुछ माँगा न सही, पर आज कुछ छोड़ा भी तो नहीं
मैंने कहा खुदा तेरे पास सूरज है तारे है, खुदा:"मैंने अपने एक चाँद पर ये सब वारे है "
खुदा"तेरे पहले वर में सब कुछ वसूल है , जा मुझे तेरी ये इच्छा कबूल है,
खुदा ने चाँद ले मेरी गोद में रख दिया "
नजर न लगे गैर की मैंने हाथो से ढक दिया,
देखता रहा कुछ देर तक, अश्क टपके जमीन पर,
हाय ये मेरा निष्ठुर भाग, चाँद मिला पर संग में दाग,
ए खुदा मेरी दूसरी इच्छा सुन ले, इस चाँद के सब दाग चुन ले ,
खुदा:"क्या कमाल करता है? चाँद के दाग पर मलाल करता है,
तेरी ये भारी भूल होगी, पर फिर भी तेरी ये इच्छा कबूल होगी ,
खुदा ने अँधेरे सभी छीन लिए, चाँद के दाग सब बीन लिए,
हाय चाँद क्याहुआ, अब इसमें वो रस ना रहा,
इसकी पीतलता कहा गयी, इसकी शीतलता कहा गयी,
ये क्या गलती मैंने कर डाली, चाँद पे अपनी नजरे डाली,
तीजा वर मुझको ये देदो , चाँद पराया वापस लेलो,
आज समझ में आया है, ये सब मोह और माया है,
केवल राज ये सच्चा होता है, दाग चाँद पर अच्छा होता है..............

प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"


2 टिप्‍पणियां:

mere jeevan ki kashti... ने कहा…

bahut sundar paribhasha likhi hai prabhat jii chaand ki.....

sp ने कहा…

vry nice