शनिवार, 26 मार्च 2011

जब प्यार पर लिखने बैठा..........


जब प्यार पर लिखने बैठा,
             उनका चेहरा नजर आया,
             जुल्फों का पहरा नजर आया,
             सपनो  में बंधता था हर पल मुझको
             मेरे सर पर सहरा नजर आया 
जब प्यार पर लिखने बैठा 
            दूर एक कश्ती नजर आई
            दीवानों की बस्ती नजर आई
            तिनके तोड़ती, रिश्ते जोड़ती
            वो बागो की मस्ती नजर आई
जब प्यार पर लिखने बैठा
            फूलो का तोडना याद आया
            यादो का जोड़ना याद आया
            थोड़ी देर और रुक जाओ कह के
            कलाई का मोड़ना याद आया
जब प्यार पर लिखने बैठा
          मुझे देख कर छुपना याद आया
          दिल का दुखना याद आया
          राहे तकते  तकते मंजिल पर
          घड़ी का रुकना याद आया 
जब प्यार पर लिखने बैठा .........................
जब प्यार पर लिखने बैठा ....................

प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"
                             



3 टिप्‍पणियां:

Rahul Yadav ने कहा…

awesome___ literally nice composition on love__

shikha ने कहा…

nys..

बेनामी ने कहा…

it's Really nice ... ur gr8......