रविवार, 20 मार्च 2011

आप चले गए?


कुछ कहते ही कहते खामोश हो गए वो,
होश में थे अब तक, बेहोश हो गए वो,
अब जिस्म ने शायद चलना बंद कर दिया,
दगाबाज दिल ने धड़कना बंद कर दिया,
रोते थे रूह तन से निकल निकल और निकल जल्दी,
अब रोती आँखों ने फड़कना बंद कर दिया,
एक तड़प थी , सब खुश रहे बाद मेरे,
अब उस रूह ने तड़पना बंद कर दिया,
आँखे जो भीगी, पलके जो सीली,
उन्हें हाथो ने मलना बंद कर दिया,
क्या तर्रकी की उन्होंने एक पल में,
उनकी  उम्र  ने ढलना बंद कर दिया,
कुछ गिरे अश्क गर्म  जमी पर मेरे,
और इस जमीन ने जलना बंद कर दिया ,
सिलसिला ए मातम शुरू हो गया क्या?
सरगम ए गम भी शुरू हो गया क्या?
कमजोर है दिल मेरा आसू न बहाओ
चिता का जलना शुरू हो गया क्या?
मै तो दूर खड़ा हू गंगा से लेकिन,
अस्थि विसर्जन शुरू हो गया क्या?
कई रिश्ते थे कई लोगो से उनके,
फिर से एक रिश्ता शुरू हो गया क्या?
साँसे खत्म थी, लिखी जो  खुदा ने,
फिर से एक जीवन शुरू हो गया क्या?


प्रभात कुमार भारद्वाज

1 टिप्पणी:

mere jeevan ki kashti... ने कहा…

क्या तर्रकी की उन्होंने एक पल में,
उनकी उम्र ने ढलना बंद कर दिया,
कुछ गिरे अश्क गर्म जमी पर मेरे,
और इस जमीन ने जलना बंद कर दिया.....
bahut sunder rachna prabhat jii....